Saturday, 28 March 2015

गुरु चंडाल योग .....

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से,,,,,,,,,,,,,,, 
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
मित्रों आज मैं आप को एक ऐसे बुरे योग के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिसे ज्योतिष ज्ञान में गुरु चंडाल योग के नाम से पुकारा जाता है। बृहस्पत के पक्के घरों में यानि (2, 5, 9, 11, 12) में जब उसके शत्रु ग्रह विशेषकर राहु, शुक्र या बुध बैठें हों या उसके शत्रु उसके साथ हों तो बृहस्पत का अपना शुभ प्रभाव देने का असर कुछ हालत में कम हो जाता है। जिस व्यकित की कुंडली में गुरु देव के साथ राहु महाराज एक ही घर में बैठ जाएँ तो इस बुरे योग का निर्माण होता है। 
जिस व्यकित की कुंडली में ऐसा योग होता है। उसे अपने दादा का सुख 10, 11 साल की उम्र से ज्यादा नहीं मिलता। कभी कभी तो देखने में ऐसा भी आता है की ऐसे बच्चे के जन्म से पहले ही उसके दादा का स्वर्गवास हो चुका होता है।
यहां पर एक बात और ध्यान देने की है, जिन बच्चों के दादा 10, 11 साल की उम्र के बाद भी जिन्दा होते है, उन बच्चों को अपने दादा का सुख किसी ना किसी प्रकार से ख़राब ही हो जाता है। जैसे की दूर दूर रहना आदि किसी भी प्रकार से दादा पोते में प्यार नजदीकियां नहीं पनप पाती । साथ ही ऐसे घर परिवार में बच्चों की पढ़ाई लिखाई 16 से 21 साल की उम्र में अटक जाती है। 
बच्चे बडो का सम्मान नहीं करते। ज्ञान की कमी। बच्चा मन मर्जी का मालिक बन जाता है। उसका स्वभाव चिढ़ चिड़ा हो जाता है। बड़े बुजर्गों, गुरुओं का सम्मान नहीं करता। साथ ही अपनी समझ के आगे किसी की नहीं सुनता और अपना व् अपनों का नुकसान करता है। पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता अगर जोर जबर दस्ती से पड़ भी जाये तो आगे जीवन में उस पढ़ाई का पूरा लाभ नहीं मिलता। ऐसे बच्चों को बढ़ती उम्र में खुद ही मान सम्मान नहीं मिलता। ऐसे जातक को शवास, दमा की बीमारी पकड़ लेती है। झूठे इल्जाम लगते हैं और उसके खिलाफ अफवाहें भी फैलती हैं । इन सभी कारणों से इसे बुरा योग माना जाता है। 
यहाँ मैं एक बात और साफ कर देना चाहता हूँ की गुरु देव बृहस्पत को जो हानि राहु की बजह से होती है करीब करीब ऐसी ही परेशानी बुध देव जब गुरु देव के साथ हों तब भी होती है। 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें।  
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

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