Monday, 30 March 2015

शुभ सूचना

अधिकतम फोल्लोवेर्स और फ्रेंड्स के आग्रह पर आचार्य हेमंत अग्रवाल (गुरुदेव जी. डी. वशिस्ट द्वारा लाल किताब शिक्षित) 13 अप्रैल 2015 को वैसाखी के पावन उत्सव पर 100 कुण्डलिओं के फलादेश और उन में से 10 कुण्डलिओं के अशुभ ग्रहों के उपाए लकी ड्रा द्वारा देंगे। इस में आप को केवल आचार्य हेमंत अग्रवाल का स्वयं पेज लाइक करना है Click और फ्रेंड्स को पेज लाइक करने के लिए आमंत्रित करना है। जो भी सदस्य आज से पेज लाइक करे वह अपना नाम (फेसबुक पर जिस नाम से पेज लाइक किया गया है) एवं प्र्शन सहित कुंडली का विवरण (जनम की तारीख, जनम का सही समय, जनम का स्थान :-  Bio-Data) पेज के मैसेज बॉक्स में अपने फ़ोन न. एवं ईमेल आई डी (ये दोनों आवश्यक है) सहित लिख दें।

यह फलादेश और उपाए 13  अप्रैल के बाद भेजे जायेंगे। पिछले इवेंट की 100 कुंडलिओं की लिस्ट जल्द ही पब्लिश कर दी जाएगी।

जरूरी सूचना : पिछले इवेंट में बहुत से मित्रों ने पेज लाइक किया, लेकिन मैसेज बॉक्स में पूरा डेटा नहीं डाला। कृपया अपना डेटा मैसेज बॉक्स में डाल दें अन्यथा वह मान्य नहीं होगा।
जरूरी सूचना : जिन जातकों की कुंडली में चन्द्र ग्रहण का योग हो, वे जातक शनिवार 4 अप्रैल 2015 को सायं 17-30 बजे चन्द्र ग्रहण का उपाए, जैसा यस आई कैन चेंज के उपाए वाले भाग में दिया है, अवश्य कर लें। अधिक जानकारी के लिए लाइक करें 
https://www.facebook.com/astrohemantaggarwal?ref=hl
और अपना प्रशन मैसेज बॉक्स में छोड़ दें।


On the request of maximum Followers & Friends, Acharya Hemant Aggarwal, will draw 100 Lucky Horoscope's Predictions & 10 Lucky Horoscope's Malefic Planet's Remedies. For that, only you have to like the page of Acharya Hemant Aggarwal and invite your friends for the same. Whoever, Folllowers & Friends like page, kindly leave your name (that name through which you liked the page) along with the question, details of the Horoscope (like Date of Birth, Time of Birth & Place of Birth), your Mobile No. & Email Address (the mobile no. & email address, both are compulsory). 
















شبھ انفارمیشن


زیادہ سے زیادہ پھوللووےرس اور فرینڈس کے زور پر آچاریہ ہیمنت اگروال
(گرودیو جی ڈی وشسٹ طرف سرخ کتاب تعلیم یافتہ)
اپریل 2015 کو وےساكھي کے پاون جشن پر 100 كڈلو کے پھلادےش 
اور ان میں سے 10 كڈلو کے اشوب سیاروں کے اپاے لکی ڈرا کی طرف دیں گے
اس میں آپ کو صرف آچاریہ ہیمنت اگروال کا خود پیج لائک کرنا ہے
اور فرینڈس کو پیج لائک کرنے کی دعوت کرنا ہے
جو بھی رکن آج سے پیج لائک کرے وہ اپنا نام
(فیس بک پر جس نام سے پیج لائک کیا گیا ہے)
اور پرشن سمیت کنڈلی کی تفصیلات (جنم کی تاریخ، جنم کا صحیح وقت، جنم کا مقام
صفحے کے پیغامات باکس میں آپ سے فون نہ. اور ای میل آئی ڈی (یہ دونوں ضروری ہے) سمیت لکھ دیں

शुभ सूचना


अधिकतम फोल्लोवेर्स और फ्रेंड्स के आग्रह पर आचार्य हेमंत अग्रवाल (गुरुदेव जी. डी. वशिस्ट द्वारा लाल किताब शिक्षित) आज से 15 अगस्त 2015 तक स्वतन्त्र दिवस के उपलक्ष में निशुल्क फलादेश और उपाए अपने गुडगाँव स्तिथ कार्यलय में देंगें। जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली आचार्य हेमंत अग्रवाल को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो संपर्क करें और साथ ही जाने कि योग द्वारा कैसे बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम करके अपने जीवन को अधिक से अधिक स्वस्थ बनाया जा सकता है ।
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

Saturday, 28 March 2015

शुभ सूचना

अधिकतम फोल्लोवेर्स और फ्रेंड्स के आग्रह पर आचार्य हेमंत अग्रवाल (गुरुदेव जी. डी. वशिस्ट द्वारा लाल किताब शिक्षित) आज से 21 जून 2015 तक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में निशुल्क फलादेश और उपाए अपने गुडगाँव स्तिथ कार्यलय में देंगें। जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली आचार्य हेमंत अग्रवाल को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी और बुरे ग्रहों के उपाय जानना चाहतें हो संपर्क करें और साथ ही जाने कि योग द्वारा कैसे बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम करके अपने जीवन को अधिक से अधिक स्वस्थ बनाया जा सकता है ।
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव 
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिशाचर्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

लाल किताब के आधार पर व्यवसाय और नौकरी के बारे में जानकारी ......

जय माता दी !

गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
मित्रों आज मैं आपको लाल किताब ज्योतिष के अनुसार व्यापार, काम काज और नौकरी से सम्बंधित जानकारी दे रहा हूँ।
साथ ही कुछ उपाय जिनको करके आप अच्छी जिंदगी गुजार सकते हैं।

भाइयो हम सब में से कौन नही जनता की रुपया पैसा कहाँ से आता है। हमारे घरों का गुजारा कहाँ से चलता है। बात साफ है काम काज, व्यापार, नौकरी से, तो भाइयो संसारिक और पारिवारिक तौर पर काम काज नौकरी की सबसे ज्यादा जरूरत है वो भी अच्छे हालात में, जिन लोगों की जन्म कुंडली में बुध देव अच्छे और एक दम साफ सुथरे हालात में बैठे हों तो ऐसे व्यक्ति को उच्च कोटि का व्यापारी बनाते हैं। ऐसा व्यकति कम मेहनत में ही सिर्फ बातों ही बातों में भरपूर कमाई करता है। 
लेकिन बुध देव जिनकी जन्म कुंडली में नीच के बुरे या अपने दुश्मन ग्रहों के साथ बैठे हों तो काम काज व्यापार में नित नई परेशानी खड़ी रहती है। 
जो लोग ट्रेडिंग का व्यापार करते हैं। उनका घर 7 भी खराब हो तो उपरोक्त परेशानी और भी ज्यादा बढ़ती जाती है। क्यों कि घर 7 रोजाना होने वाली आय का होता है। इस कारण घर 7 का अच्छा होना भी जरूरी है तब ही डेली सोर्स ऑफ़ इनकम अच्छी हो सकती है। 
जिन लोगों की कुंडली में बुध खराब हों साथ ही शुक्र के दुश्मन ग्रह (सूर्य,राहु,या गुरु) खाना न 7 में कोई भी एक या 2 मिलकर बैठ जाएँ तो व्यापर ना करें, केवल  नौकरी करें या दलाली कमीसन का काम करें। 
यहाँ पर मै एक बात और बताना चाहूँगा कि जब बुध देव मन्दे या नीच के होते हैं तो बुध का ज्यादा बुरा असर 34 - 35 साल की उम्र में होता है। साथ ही जब बुध देव बुरे हों तो 34 साल की उम्र में बुध देव पहले अच्छे हालात बनाते हैं। फिर 35 साल की उम्र पूरी होते होते ऐसा जमीन पर पटकते हैं कि जातक वर्षों तक दुबारा उठ ही नही पाता | बुध खराब की एक और पहचान है कि जातक जीवन पूर्ण सफलता नही यानी कि 99 से वापसी हो जाती है | जिनका बुध खराब वो लोग 100 तक कभी नही पहुँचते।
इसके अलावा काम काज, व्यापार और नौकरी को खराब करने में घर 10 का भी बड़ा योगदान होता है। घर 10 को कुंडली में काम काज और नौकरी का घर माना जाता है। लेकिन जब घर 10 में आपस में दुश्मन ग्रह एक साथ बैठ जाएँ तब भी काम काज नौकरी में परेशानी बनी रहती है। काम काज नौकरी बार बार बदलते हैं।
विशेष नोट :  लाल किताब के योग कई बार अति विकसित पद्धतियों से टकराते हैं तो आश्चर्य होता है। विश्व्विखियात ज्योतिषविद कृष्णामूर्ति की पद्धति का एक योग (शनि खाना नं 10) प्रस्तुत किया जा रहा है। 10 में शनि की राशि हो या स्वयं शनि जन्मकुंडली में 10 वें भाव में हो तो… Speedy Promotion to a high level, sudden reversal and adversary. Ambition for power and prestige, yet financial loss in business ultimately. "The actors, politicians and powerful people had Saturn in 10 reached the highest position and fell down to a depth much greater than the height they climbed." लाल किताब में लिखा है कि जातक धर्मात्मा हो तो ऐसा योग बनता है। कृष्णमूर्ति भी कहते हैं कि उसे तीर्थ यात्रा के अवसर प्राप्त होंगे।  वह प्रचारक बन के विदेश यात्रा भी कर सकता है। वह धार्मिक नेता भी हो सकता है और जब उसके पास कुछ भी न रहे तो करपात्री सन्यासी भी हो सकता है। परन्तु जहाँ तक धन, वैभव और संपत्ति का सम्वन्ध हो उसके बारे में लाल किताब में लिखा है : जातक बाग, जंगल, पर्वत तथा अलग अलग सम्पत्तियों का मालिक, अति बुद्धिमान और तख़्त हज़ारी, यश और मान पाकर अंततः ऐसा गिरता है कि उसका निशान भी ढूंढने से नहीं मिलता। 
मित्रो आज में उपरोक्त हालात के विषय में कुछ खास बातें भी आप के सामने रख रहा हूँ। जिनको पड़ने के बाद वो लोग जिन्होंने इन हालात में जिंदगी गुजारी होगी सोच में पड़ जायेंगे की लाल किताब ज्योतिष में ऐसा क्या है कि किसी व्यक्ति के हालात को इतने अच्छे प्रकार से बताया जा सकता है। जब बुध खराब हों तो हमेशा अच्छी प्रकार से चलते हुए काम काज में अकस्मात प्रॉब्लम परेशानी होती है। पहले सब ठीक होता है पर अकस्मात छलावा सा होता है।और सब कुछ नष्ट होने लगता है। ऐसे व्यकति को पता ही नही चलता की क्या हुआ। बर्बादी के कारण क्या हैं। अपनी आँखों से देख कर यकीन ही नहीं होता और बर्बादी सामने खड़ी होती है। दिमाग काम करना बन्द कर देता है। मन में, दिमाग में अजीब सी भ्रांतियां घर कर लेतीं हैं। उसकी बुद्धि काम ही नहीं कर पाती।
एक खास बात और जब किसी की कुंडली में बुध देव उपरोक्त हालात के होते हैं तो बैंक या फाइनेंसर से कर्जा भी करवा देते है और ऐसा जातक जिसका बुध ख़राब हो कर्जा चुकता नहीं कर पाता इस कारण ऐसे व्यक्ति की समाज में इज्जत और  मान भी नष्ट हो जाता है।
मित्रो अगर आपकी कुंडली में बुध खराब हों तो बुध से सम्बंधित सामान अपने तन और घर से दूर करें।
बुध देव जिस भी दुश्मन ग्रह के साथ हों तो बुध के साथ उस ग्रह का भी इलाज करें। 
घर 10 में आपस में दुश्मन ग्रह एक साथ बैठे हों तो हर 2, 3 महीने में 10 अंधे मर्दों को खाना खिलाये 
सिर्फ इतनी सी रेमेडी करके आप बुरे हालात से बच सकते हैं और बो भी बहुत आसानी से की जा सकती हैं। ज्यादा खर्चीली नहीं हैं। और हाँ मित्रो इतनी आसानी से किये जा सकने बाले उपाय सिर्फ लाल किताब जियोतिष् में ही सम्भव हैं। साथ ही इन उपायों का अच्छा असर भी बहुत ही जल्दी होता है।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

किडनी प्रॉब्लम (डायलिसिस)

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
मित्रो आज में आज के समय में एक और ज्यादा बुरी बीमारी किडनी प्रॉब्लम (डायलिसिस) के विषय में बता रहा हूं। जोकि ज्यादा बुरी ज्यादा खतरनाक और इसका इलाज भी बहुत ही खर्चीला है। फिर भी इस बीमारी से पूरा छुटकारा सम्भव नहीं है और आप इस पोस्ट को पड़ के हैरान हो जायेंगे कि इस नए जमाने की इन नई नई बिमारियों के विषय में हमारे भारतीय जियोतिष् में पूरा विवरण विस्तार से बताया गया है और बहुत ही साधारण से कम खर्चीले उपाय भी हैं। जिनको करने से ऐसी ही अन्य बिमारियों से भी बचाव सम्भव है। लाल किताब में विवरण है कि कौन सा ग्रह किन हालात में खराब होकर किन ग्रहों से सम्बन्ध बना कर कौन सी बीमारी पैदा कर सकता है। साथ ही उन ग्रहों का सही समय पर इलाज(उपाय) करके उनसे बचा जा सकता है। बो भी बहुत ही साधारण से उपाय जिनको आप आसानी से कर सकते हैं। लाल किताब के उपाय करने के लिए आपको किसी की भी सहायता की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप अकेले ही बिना किसी की मदद लिए खुद ही कर सकते हैं।
जब भी किसी की कुंडली में केतु देव खराब होकर बैठ जाएँ तो हमारे शरीर के किसी खास अंग पर कार्बन की एक परत चढ़ जाती है और केतु देव हमारे शरीर में पेशाब की जगह पर अपनी मलकियत रखते हैं। साथ ही पूरा यूरिनल सिस्टम भी केतु देव की मालकियत में आता है तो इस प्रकार किडनी पर केतु का अधिकार है। जिस कारण केतु देव खराब होने के कारण किडनी पर कार्बन की परत जम जाती है और किडनी अपना काम करना बन्द कर देती है। और उसी समय बुध देव भी खराब हालात के हों तो बो इस बीमारी को और भी ज्यादा बढ़ाने का काम करते हैं।किउंकि हमारे शरीर की नशों नाड़ियों पर बुध देव का अधिकार है तो बुध देव के खराब होने से किडनी से सम्बंधित नशों नाड़ियों में रुकाबट शुरू हो जाती है। साथ ही मंगल देव जो की शरीर में खून पर अपनी मलकियत रखते हैं।जिस कारण शरीर में सही मात्रा में खून नहीं बनता और जो थोडा बहुत बनता भी है पूरी तरफ साफ सुथरा नहीं होता। मंगल देव भी बुरे हाल हों तो आपको किडनी बीमारी होने के पूरे पूरे बुरे हालात से गुजरना ही होगा।
किडनी प्रॉब्लम एक ऐसी बीमारी है जिसका अभी तक इंग्लिश दवाओँ में कोई भी इलाज नहीं है। बस खून बदलबाते रहो। या आपकी किस्मत से कोई किडनी डोनर मिल जाये। पर किडनी बदलबाने से भी पूरा अच्छे हालत नहीं बनते शरीर में कोई ना कोई कमी बनी ही रहती है। आप ज्यादा मेहनत के काम नही कर सकते।
लेकिन मित्रो आप अपनी कुंडली में छुपी बिमारियों को किसी अच्छे एस्ट्रोलोजर के माध्यम से जान सकते हैं। और लाल किताब के उपाय करके इस बीमारी और अन्य बिमारियों से बच भी सकते हैं। 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें।  
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को  दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है।  
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

गुरु चंडाल योग .....

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से,,,,,,,,,,,,,,, 
मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ।
मित्रों आज मैं आप को एक ऐसे बुरे योग के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिसे ज्योतिष ज्ञान में गुरु चंडाल योग के नाम से पुकारा जाता है। बृहस्पत के पक्के घरों में यानि (2, 5, 9, 11, 12) में जब उसके शत्रु ग्रह विशेषकर राहु, शुक्र या बुध बैठें हों या उसके शत्रु उसके साथ हों तो बृहस्पत का अपना शुभ प्रभाव देने का असर कुछ हालत में कम हो जाता है। जिस व्यकित की कुंडली में गुरु देव के साथ राहु महाराज एक ही घर में बैठ जाएँ तो इस बुरे योग का निर्माण होता है। 
जिस व्यकित की कुंडली में ऐसा योग होता है। उसे अपने दादा का सुख 10, 11 साल की उम्र से ज्यादा नहीं मिलता। कभी कभी तो देखने में ऐसा भी आता है की ऐसे बच्चे के जन्म से पहले ही उसके दादा का स्वर्गवास हो चुका होता है।
यहां पर एक बात और ध्यान देने की है, जिन बच्चों के दादा 10, 11 साल की उम्र के बाद भी जिन्दा होते है, उन बच्चों को अपने दादा का सुख किसी ना किसी प्रकार से ख़राब ही हो जाता है। जैसे की दूर दूर रहना आदि किसी भी प्रकार से दादा पोते में प्यार नजदीकियां नहीं पनप पाती । साथ ही ऐसे घर परिवार में बच्चों की पढ़ाई लिखाई 16 से 21 साल की उम्र में अटक जाती है। 
बच्चे बडो का सम्मान नहीं करते। ज्ञान की कमी। बच्चा मन मर्जी का मालिक बन जाता है। उसका स्वभाव चिढ़ चिड़ा हो जाता है। बड़े बुजर्गों, गुरुओं का सम्मान नहीं करता। साथ ही अपनी समझ के आगे किसी की नहीं सुनता और अपना व् अपनों का नुकसान करता है। पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता अगर जोर जबर दस्ती से पड़ भी जाये तो आगे जीवन में उस पढ़ाई का पूरा लाभ नहीं मिलता। ऐसे बच्चों को बढ़ती उम्र में खुद ही मान सम्मान नहीं मिलता। ऐसे जातक को शवास, दमा की बीमारी पकड़ लेती है। झूठे इल्जाम लगते हैं और उसके खिलाफ अफवाहें भी फैलती हैं । इन सभी कारणों से इसे बुरा योग माना जाता है। 
यहाँ मैं एक बात और साफ कर देना चाहता हूँ की गुरु देव बृहस्पत को जो हानि राहु की बजह से होती है करीब करीब ऐसी ही परेशानी बुध देव जब गुरु देव के साथ हों तब भी होती है। 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें।  
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य को  दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 2100.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है।  
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860954309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a024@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव फ्रैंचाइज़ी में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। माता रानी सब को खुशीआं दे।

कुंडली में मकान के योग .......

जय माता दी !
गुरुदेव जी डी वशिस्ट के आशीर्वाद से ………मित्रों आप सब को आचार्य हेमंत अग्रवाल का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं। अगर आप सब को आर्टिकल्स में किसी सब्जेक्ट के बारे में और अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकते हैं। जो कि मुझे आर्टिकल्स को और भी बेहतर बनाने में उत्साहित करेगा। मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझे ज़रूर लिखें और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। 
विशेष नोट :  लाल किताब के योग कई बार अति विकसित पद्धतियों से टकराते हैं तो आश्चर्य होता है। विश्व्विखियात ज्योतिषविद कृष्णामूर्ति की पद्धति का एक योग (शनि खाना नं 10) प्रस्तुत किया जा रहा है। 10 में शनि की राशि हो या स्वयं शनि जन्मकुंडली में 10 वें भाव में हो तो… Speedy Promotion to a high level, sudden reversal and adversary. Ambition for power and prestige, yet financial loss in business ultimately. "The actors, politicians and powerful people had Saturn in 10 reached the highest position and fell down to a depth much greater than the height they climbed." लाल किताब में लिखा है कि जातक धर्मात्मा हो तो ऐसा योग बनता है। कृष्णमूर्ति भी कहते हैं कि उसे तीर्थ यात्रा के अवसर प्राप्त होंगे।  वह प्रचारक बन के विदेश यात्रा भी कर सकता है। वह धार्मिक नेता भी हो सकता है और जब उसके पास कुछ भी न रहे तो करपात्री सन्यासी भी हो सकता है। परन्तु जहाँ तक धन, वैभव और संपत्ति का सम्वन्ध हो उसके बारे में लाल किताब में लिखा है : जातक बाग, जंगल, पर्वत तथा अलग अलग सम्पत्तियों का मालिक, अति बुद्धिमान और तख़्त हज़ारी, यश और मान पाकर अंततः ऐसा गिरता है कि उसका निशान भी ढूंढने से नहीं मिलता। 
मित्रों आज मैं कुंडली में मौजूद कुछ ऐसे  योगों के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिससे आप जान पाएंगे कि जीवन में कभी आपका अपना मकान होगा कि नहीं इत्यादि (मित्रों यह एक सीमित पोस्ट है और यहाँ मकान  से सम्बंधित लाल किताब के सिद्धांतों से जाहिर सभी योगों का ज़िकर कर पाना शायद मुमकिन ना हो पायेगा और मैं जनता हूँ कि आप सब अपनी कुंडली के आधार पर मकान के योगों के बारे में जानने के लिए उत्सुक होंगे) लाल किताब में लिखा है कि 
"टेवे बैठे ग्रह 1 ता 9वें, दाएं दाखिला बोलते हैं,
चलते 12 से घर 9 आवें, असर बाएं देते हैं।"
जन्म कुण्डली के मुताबिक जो ग्रह खाना नं. 1 से 9 तक बैठे हों वह अपना असर मकान के दाखिल होते हुए दाएं हाथ की तरफ ज़ाहिर किया करते हैं और खाना नं. 12 से 10 तक बैठे हुए ग्रह मकान के बाएं तरफ अपना असर ज़ाहिर करते हैं। मकान की बुनियाद डालने के दिन से 3 या 18 साल की मियाद के बाद हर मकान अपना असर ज़रूर देगा। जन्म कुण्डली में बैठे हुए सनीचर का मकान पर खानावार असर इस तरह होगा।
  1.  शनि खाना नंबर 1 :  में नीच का होगा। टेवे वाला अगर मकान बनावे तो काग रेखा। जब सनीचर मन्दा हो तो कौवे की खुराक तक तरसता होवे। निर्धन सब तरफ बर्बादी होगी। लेकिन जब सनीचर उम्दा नंबर 7, 10 खाली हो तो उम्दा फल होगा। 
  2. शनि खाना नंबर 2 :  में होवे जो की शुक्र की राशी है तो राहु-केतु का साथ हुआ) मकान जब और जैसा बने, बनने देवें, मुबारक होगा। 
  3. शनि खाना नंबर 3 : जो की मंगल का घर है केतु पालन करें। 3 कुत्ते रखे तो मकान बनेगा। वर्ना गरीबी का कुत्ता भौंकता रहे।
  4. शनि खाना नंबर 4 :   अपने बनाये मकान खाना नं. 4 के सम्बंधित (मुताल्का) रिश्तेदार माता खानदान को ज़हर देंगे (के हक़ में विष के समान होंगे या नीव खोदते ही माता खानदान बर्बाद होने लग जायेगा।
  5. शनि खाना नंबर 5 : खुद बनाये हुये मकान औलाद की कुर्बानी लेंगे। मगर औलाद के बनाये हुए मकान टेवे वाले के लिए मुबारक होंगें। अगर खुद ही बनाने हो तो सनीचर की जानदार चीजें (अश्या) भैंस-भैंसा बतौर दान देने या बतौर कुर्बानी जि़न्दा छोड़ देने के बाद मकान की बुनियाद रखें तो सनीचर का औलाद पर मन्दा असर न होगा। फिर भी अगर हो सके तो 48 साला उम्र के बाद ही मकान बनावे तो बेहतर होगा। 
  6. शनि खाना नंबर 6 : सनीचर के मियाद 36-39 साला उम्र के बाद मकान बनाना मुबारक होगा। वर्ना अपनी लड़कियों के रिश्तेदारों को तबाह (माली या जानी तौर पर)  करेगा। 
  7. शनि खाना नंबर 7 : अव्वल तो बने बनाये मकान ही बहुत मिलेंगे जो मुबारक होंगे। अगर उल्टा बिकने ही लगे तो सबसे पुराने मकान की दहलीज़ कायम रखना(उसे न बेचें न बदलें)  सब कुछ वापिस दिलवा देगा। 
  8. शनि खाना नंबर 8 : मकान बनना शुरू हो तो मौतें गूंजने लगे। सनीचर अब राहु केतु की हालत पर अच्छा या बुरा असर देगा। 
  9. शनि खाना नंबर 9 : टेवे वाले की औरत के पेट में बच्चे के वक्त अपनी कमाई से बनाया हुआ मकान पिता को सुखी और सम्पन (आसूदा) हाल या जि़न्दा न छोड़ेगा और जब टेवे वाले के पास 3 जुदा-जुदा रिहायशी मकान कायम हो जायेंगे तो उसका आखिरी वक्त (मौत) पहुंच चुका गिनेंगे। शनि खाना न 9 वाला जातक दो से अधिक मकान बनाने का प्रयास ही न करे। 
  10. शनि खाना नंबर 10 : जब तक मकान न बनावे सनीचर मकान बनाने के लिए सामान जमा करने की कीमत नगद रूपया देता जायेगा। लेकिन जब मकान बन जावे सनीचर बिस्तर तक भी उठाकर ले भागे बल्कि ढूंढने पर भी निशान न मिलेगा और आमदन खत्म होगी। 
  11. शनि खाना नंबर 11 : मकान अमूमन देरी से 55 साला उम्र के बाद बनेगा। दक्षिण मुखी (दक्कन) के दरवाज़े वाले मकान के साथ (रिहायश) से लम्बा अर्सा लेटना (गल सढ़कर मरना) पड़ेगा कहने का भाव है कि दक्षिण में दरवाज़े वाले मकान में निवास से जातक को बहुत लम्बा समय रोग के कारण लेटना पड़ेगा। गल सड़ कर मृत्यु होगी।  
  12. शनि खाना नंबर 12 : सांप (सनीचर) और बन्दर (सूरज) जो कभी अपना बिल या घर नही बनाते अब मकान बनाना सीख लेंगे। यानि अब मकान खुद ब खुद बनेंगे जो मुबारक होंगे। ख्वाह अब सनीचर के साथ सूरज भी नम्बर 12 में ही होवे। टेवे वाले को चाहिए कि बनते मकान को न रोके जैसा बने, बन ही लेने देवें। 
वर्षफल के हिसाब से जिस साल सनीचर, राहु केतु से ताल्लुक वाले असूल से जाति सुभाओ में नेक असर का साबित हो रहा हो या राहु केतु के साथ ही बैठा हो तो मकानात बनेगें। लेकिन जब राहु केतु का साथ तो हो मगर सुभाओ के हिसाब से बुरे असर का साबित होवे तो बने बनाये मकान बिकवा या गिरवा देगा और उसका मन्दा असर होगा। खाना नं. 2 मकानात की हालत बतायेगा और खाना नं. 7 मकानों का सुख दुख बताता होगा।
मकान बनाने से पहले तमाम और कुल तह ज़मीन को एक ही गिनकर उसके गोशे या कोने देखे जावें। 4 गोशे वाला रकबा सबसे उत्तम होगा, जिसका हर एक कोना 900 का हो। तीन, पांच या ज्यादा कोने वाला रकबा मन्दा ही होगा। मकान की बुनियादें रखने से पहले तह ज़मीन पर चन्द्र के उपाय से खानदानी नेक व बुरे नतीजे देख लेना भी ज़रूरी होगा। क्योंकि मकान की तह ज़मीन का मालिक चन्द्र होता है। मकान में आने जाने का सबसे बड़ा दरवाज़ा बतरफ मशरिक हो तो सबसे उत्तम मगर जनूब का दरवाज़ा मनहूस ही होगा। बन्द गली का आखिरी मकान भी मन्दा ही होगा। जन्म कुण्डली में दूसरें ग्रहों का जायज़ा ले लेना भी बेहतर होगा।
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 
माता रानी सब को खुशीआं दे।

प्रेम विवाह और विवाह से सम्बंधित कुछ जानकारी .......



जय माता दी । 

गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से,,,,,,,,,,,,,,,
मित्रों में आज आप लोगों को प्रेम विवाह और विवाह से सम्बंधित कुछ जानकारी देना चाहता हूँ।
प्रेम विवाह -पुराने समय से ही होते आये हैं और हो रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे। चाहे हमारा समाज इस कृत्य को अच्छी या बुरी किसी भी दृषिट से देखे। हमारे नवयुवक प्रेम विवाह करते रहेंगे। सच्चाई यह है कि कुछ जन्म कुंडलियों में ऐसे योग होते हैं कि नव युवक समाज परिवार की परवाह किये बिना ऐसा करने को मजबूर हो जाते हैं।
इस योग में बताता हूँ कि जब किसी की कुंडली में घर 1 का सम्बन्ध घर 5, 7 से बन जाता है। 1, 5, 7 के मालिक ग्रह एक दूसरे के घरों में बैठ जाएँ या दृस्टी सम्बन्ध बनायें तो प्रेम विवाह होता है। साथ ही जब घर 12 का सम्बन्ध घर 5, 7 से बने तब भी प्रेम विवाह होता है। शुक्र देव घर 12 में बैठ कर भी प्रेम विवाह का योग बनाते हैं लेकिन जब शुक्र देव के साथ उनका साथी शनि भी घर 12 में बैठा हो या शुक्र देव पर अपनी प्रेम भरी दृष्टि डाले तो प्रेम विवाह का योग और भी मजबूत हो जाता है या फिर  घर 12, 5, 7 के ग्रह एक दुसरे के घरों में बैठ जाएँ या दृस्टि सम्बन्ध बना लें।
लेकिन किसी का घर 5 का मालिक ग्रह घर 12 में बैठ जाये तो उसका प्रेमी उसे छोड़ के चला जाता है। धोखा देता है। साथ ही जब किसी का शुक्र ग्रह जब घर 8 में बैठ जाये या राहु घर 5 में हो तो प्रेम विवाह सम्भव नहीं होता और किसी की कुंडली में शुक्र देव घर 5 में बैठ जाएँ तो उसे प्रेम विवाह करना तो क्या ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए। क्यूंकि अगर ऐसा व्यकित प्रेम विवाह परिवार की इच्छा के खिलाफ जाके करता है तो बाद में उसे बहुत बड़ी परेशानियां उठानी पड़ेंगी। यहाँ तक कि बर्बाद भी हो सकता है।  इज्जत मान सम्मान रुपया पैसा की भारी कमी रहेगी।
हमारे  प्राचीन जियोतिष् के अनुसार विवाह के समय गुण मिलान किया जाता है। उसमे 36 गुण में से 18 या 18 से ज्यादा मिलने पर ज्योतिष बोल देते हैं कि विवाह कर दो गुण मिल रहे हैं । पर उसमे भी भकूट और नाडी दोष को देखना चाहिए। नाडी और भकूट देखे बिना विवाह के बाद परेसानी आतीं हैं।
यहां मैं सभी को एक बात और बताना चाहता हूँ कि कुछ विद्वान् नाम से भी गुण मिलान करते हैं जब किसी की कुंडली ना हो। जोकि सरासर गलत है । गुण मिलान हमेशा कुंडली देख के ही किया जाता है। किउंकि ग्रहों की पोजीसन तो कुंडली से ही पता चल सकती हैं नाकि नाम से।
इतना सब होने के बाद भी वैदिक जियोतिश में कुंडली मिलान का बहुत ही छोटा स्वरूप् है जो ज्यादा कामयाब नहीं है।
लाल किताब में कुंडली मिलान का बहुत ही सुंदर और कामयाब स्वरूप् है। जिसका पालन करने से वैवाहिक सम्बंधों का पूरा आनन्द लिया जा सकता है। क्यूंकि लाल किताब में घर 2 ससुराल का सुख, घर 4 घर का माहौल, घर 7 पति से या पत्नी से सम्बन्ध, घर 12 बिस्तर के सुख। लाल किताब में इन सभी बातों को देखा जाता है चाहे गुण 18 मिलें या 18 से भी कम उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
लाल किताब में उपरोक्त बातों का ध्यान करके गुण मिलान किया जाता है जो ज्यादा विश्वसनीय  है।
एक बात और 2, 4, 7, 12 घरों में पापी या मंदे नीच ग्रह बैठे हों तो वैवाहिक सम्बन्धों को ख़राब करते हैं। आपस में मार पीट क्लेश होता है। 
एक बात और मैं  यहाँ साफ कर देना चाहता हूँ कि वैवाहिक सम्बन्धो का सबसे बड़ा कारक ग्रह शुक्र है अगर किसी की कुंडली में शुक्र के साथ सूर्य राहु या केतु बैठ जाएँ तो भी सम्बन्ध ख़राब हो जाते हैं।
किसी की कुंडली में शुक्र के पक्के घर 7 में सूर्य या राहु बैठ जाएँ तो भी उसकी वैवाहिक जिंदगी नस्ट हो जाती है। सूर्य घर 12 में भी वैवाहिक जिंदगी को खराब करता है और शुक्र घर 11 में भी शादी शुदा जिंदगी में कलह का माहौल बनाता है।
लेकिन मैं ये बात दावे से कहता हूँ क़ि घबराने की जरूरत नहीं लाल किताब में ऐसे सभी दोषों का इलाज है। आप लाल किताब के उपाय करके अच्छी जिंदगी जी सकते हैं।
इसके आलावा भी कई अन्य प्रकार के बुरे योग हैं जो वैवाहिक सम्बन्धों पर बुरा असर डालते हैं उनके उपाय भी हैं। जैसा कि मैंने लिखा है कि अगर राहु सप्तम स्थान में अशुभ स्थिति में हों और केतु पहले धर में हो तो काल सर्प दोष भी बनता है और इस योग में दोनों ग्रहों का उपाय करना होता है, प्रथम भाव का मालिक मंगल ग्रह होता है। इस लिए केतु को शांत करने के लिए लोहे की गोली पर लाल रंग करके अपने पास रखना चाहिए, तर्क यह है कि लाल रंग मंगल का कारक है, जिससे मंगल को दबाया जाता है, खाना न 7 के राहु के लिए बृहस्पत और चन्द्र के असर को मिला कर राहु के अशुभ  प्रभाव को कम करना होगा। इसके लिए लाल किताब के उपायों के अनुसार एक चांदी की  डिब्बी में  गंगा जल या बेहती नदी या नहर का पानी डाल कर, जो बृहस्पत का कारक है और एक चांदी का चकौर टुकड़ा,  ऊपर से डिब्बी को ढक्कन लगा कर घर में रखना चाहिए। ध्यान रहे की डिब्बी का पानी सूखे नहीं। मैंने अपने अनुभव और गुरु जी की शिक्षा से यह पाया है कि यह उपाए करने से मैरिड लाइफ में काफी स्थ्रिता आ जाती है।
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Friday, 27 March 2015

बालकों की स्वाभाविक रूचि एवं योग्यता .........

जय माता दी । 

गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से,,,,,,,,,,,,,,, 
मित्रो आज मैं एक ऐसे विषय पर चर्चा करने जा रहा हूँ जो अक्सर माता पिता अपने बालकों की स्वाभाविक रूचि एवं योग्यता को 'बेसिक' व 'नेचुरल स्पार्क' को, तथा ज्योतिषीय आधार पर किसी विषय को समझने की उनकी स्वाभाविक संभावनाओं को या तो किसी विचार में लाते ही नही या नजरअंदाज कर देते है। अपना नजरिया और अपनी अतृप्त इच्छाएं वे बालकों पर थोप देते है तथा महत्वाकांक्षा एवं प्रतिस्पर्धा के चलते वे बालकों से उनकी योग्यताएं, सामर्थ्य सीमाओं से भी अधिक प्रगति करने की अपेक्षा रखने लगते है-परिणामतः बालको का बचपन तो बर्बाद हो ही जाता है। वो मानसिक और मनोवैज्ञानिक दबाब में आकर बहुत से रोग विकारों से ग्रस्त हो जाता है। उसकी प्रतिभा कुचली जाती है वह अपने पसंदीदा विषय का महारथी बनने की वजाए नापसंद और बलात थोप दिए गए विषय में 'कामचलाऊ' स्तर प्राप्त करके रह जाता है ।बाद में भी सारा जीवन वह कर्तव्यों/ड्यूटीस को उदरपालन की मज़बूरी की भांति बस ढोता है। मन से, जोश व उत्साह से ,पूरी निष्ठा व मनोयोग से सारी की सारी योग्यता का प्रदर्शन करते हुए कुछ भी 'बेहतर या बेहतरीन ' नही कर पता। दसवीं कक्षा के बाद विशेष रूप से विषय चुनने की आवश्यकता रहती है। आम धारणा है कि अव्वल रहने वाले छात्र साइंस साइड में जाते है, और तीसरे दर्जे वाले आर्ट्स साइड में जाते है। अक्सर माता पिता बालकों को साइंस लेने को उकसाते है। रह गए तो कॉमर्स ही ले लो। मगर आर्ट्स साइड तो मज़बूरी में ही चुनी जाती है । 
यह बालकों तथा उनके माता - पिता के लाभार्थ-साइंस/कॉमर्स/आर्ट्स साइड के चुनाव के उपयोगी, प्रमुख ज्योतिषीय सूत्र तथा आधार संक्षेप में दे रहा हूँ-क्यूंकि आजीविका या रोजगार की नींव यहीं से पड़नी शुरू होती है। 
जैसे की मैंने अपने पहले लेखों में लिखा था की अगर शनि नीच हो तो तकनीकी विषयों को समझने की छमता कम होती है । जातक ऐसे विषय पढ़ भी ले तो आगे उस दिशा में सफलता प्राप्त कर ही नही सकता। इसी प्रकार राहुयदि निर्बल हो तो इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आदि में जातक सफल नही हो पाता। 
राहु-शनि उच्च के हो तो राजनीति में भी सफलता नही मिलती। 
बुध अगर बहुत अधिक अशुभ स्थिति में तो, गणित, सांख्यिकी, एकाउंट्स, इकोनॉमिक्स आदि में जातक सफल नही हो पाता । 
सूर्य अगर उच्च हो तो नागरिक शास्त्र, सामाजिक ज्ञान, हुमेनिटिस, आर्ट्स, पुब्लिक रिलेशन आदि से जुड़े विषयो में सफलता होती है। 
चन्द्र बलवान हो तो सयकोलॉजी, कृषि, टूरिज़्म, शिपिंग हाइड्रोलिक्स, कैश आदि से जुड़े हुए विषय पड़ने चाहिए। 
मंगल अगर उच्च हो तो सर्जरी, मेडिकल, आर्मी /पुलिस, आर्डिनेंस, केमिकल्स तथा फायरवर्क्स से जुड़े विषयो में सफलता मिलती है। इसी प्रकार ग्रहों के मुश्तरका कुंडली के एक घर में होने से, द्रिष्टि या युक्ती के प्रभाव से, दो या दो से अधिक ग्रहो के मिलने से या ग्रहो की कुंडली में घरों पर दृष्टीयों से भी कई प्रकार के विषय और व्यवसाय देखे जाते है। 
कुंडली में जितने अधिक से अधिक घर या ग्रह शुभ, अच्छी, बलि, उच्च स्थिति में होंगे जातक उतना अधिक से अधिक जीवन में ऊँची से ऊँची कामयाबियों को प्राप्त करता है और एक सफल जीवन व्यतीत करता है चाहे जीवन का कोई भी क्षेत्र हो। हमारे आसपास समाज में जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं, उनमें से उनकी कुछ कुंडलियों के अध्ययन से यह देखने में आया है की उनकी कुंडलियों में एक से अधिक ग्रह उच्च स्थिति में थे। यहाँ तक की यह भी पाया गया है की अगर कुंडली में कोई दो या दो से अधिक शत्रु ग्रह आपस में शत्रुता से जातक की कुंडली में बैठे हों, और जीवन को असफल बनाते हों और किसी भी वजह से जाने या अनजाने, उपायों द्वारा उन ग्रहो की शत्रुता या नीचता को कम या खत्म कर दिया जाये तो जातक एक कामयाभ जिंदगी जीता है।ऐसा ही एक उदाहण यहाँ पर बताना चाहता हूँ । आम तौरपर, ज्यादातर, अगर कुंडली में मंगल दसवें भाव में शुभ और चन्द्र दूसरे भाव में शुभ और उच्च स्थति में बैठा हो तो दसवें भाव के मंगल के लिए कहा जाता है की विष्णु जी स्वयं घर पधारे। लेकिन देखने आता है की विष्णु जी को छोड़ो उनका दूत भी नही आता और जातक को खाने के लिए भी मोहताज होना पड़ता है। इसका कारण है कि जबतक मंगल का समय रहता है तब तक तो जातक को सब कुछ मिलता है लेकिन जैसे ही चन्द्र का समय आता है, वो सब कुछ जो जातक को मंगल के समय में मिला होता है वह भाप हो जाता है और जातक सोचता ही रह जाता है कि उसके साथ ऐसा क्या हो गया है। ऐसी बहुत सारी अनगिनत उदाहरण है जिनका यहाँ वर्णन कर पाना संभव नही है। बहुत सी कुंडलियों में यह भी देखने में आता है यदि कोई ग्रह शुभ या उच्च स्थिति में होता है लेकिन जातक उन ग्रहो के कारक विषयों और व्यवसायों में सफल नही हो पाता है। इसका मुख्य कारण कुंडली का सही और गहनता से विश्लेषण न करना होता है। 
कुंडली में ग्रहो एवं योगों की अशुभता एवं निर्बलता को अथवा ग्रहो की दशा और समय इत्यादि की प्रतिकूलता हो या अन्य कारणों से व्यवसाय/लाभ/आजीविका बाधित या दुष्प्रभावित हो रही हों, सामर्थ्य एवं योग्यता के अनुसार प्राप्ति ना हो रही हो अथवा प्रतिकूल एवं अशुभ प्रभाव जीवन में महसूस किये जा रहे हो तो ऐसी स्थितियों में उपाय प्रभावशाली और लाभकारी सिद्ध होते है। क्योंकि की बिना कारण के कार्य नही होता है और बिना कर्म के फल नही होता तथा कोई भी कर्म निष्फल भी नहीं होता। अतः किसी भी कार्य के लिए पहले उसका कारण बनाना पड़ता है। भाग्य प्रबल हो तो परिस्थितयां स्वय कारण बना देती है। किंतु भाग्य की निर्बलता या प्रतिकूलता हो तो 'कारण ' स्वय बनाना पड़ता है। इसे ही उपाय कहा जाता है। कोई फल बिना कर्म के प्राप्त नही होता-अतः उपाय को विधिवत एवं कुशलतापूर्वक किया जाये तो अवश्य ही सुपरिणाम प्राप्त होते है, क्योंकि उपाय स्वयं में कर्म होते है, और कर्म कभी निष्फल नही होता। यही उपाय का मह्त्व/सार्थकता/उपयोगिता व् औचित्य है। 
भाग्य कर्म के अधीन है। बुद्धिपूर्वक किये जाने वाले विशिष्ट कर्म अंततः भाग्य को बदल देते है। ऐसे ही कर्म तप कहे जाते है। जैसा की रामायण में कहा गया है 'सुत तप से दुर्लभ कछु नाही', 
जो ग्रह हमें लाभप्रद है किन्तु निर्बल है, उपाय द्वारा उसका बल बढ़ाकर हम अपना लाभ बड़ाते है। जो ग्रह हानिप्रद स्थिति में है किन्तु बलवान है, उपाय द्वारा उसका बल घटाकर हम अपनी हानि को कम कर लेते है। इसी प्रकार जो समय या परिस्थिति हमारे प्रतिकूल है -उसमें हम अपने लक्ष्य के लिए संघर्ष न कर 'धैर्यपूर्वक' अपनी योग्यता को बढ़ाते है और अनुकूल समय/परिस्थतियों में लक्ष्य प्राप्ति के प्रयासों को क्रियान्वित करते है तो हम कम परिश्र्म से अधिक की प्राप्ति करते हैं और हम असफल हतोत्साहित होने से बच जाते है। 
जातक विश्वास एवं अस्थापूर्वक उपाय कर सकें, इसके लिए आवश्यक है की जातक उपायों को प्रयोग में लाने से पूर्व उनका औचित्य, प्रणाली, विज्ञानं, शक्ति और सीमाओं के विषय में जानें। जानने से ही यकीन होता है और यकीन से ही आस्था व् सफलता होती है। जैसा की तुलसीदास जी ने कहा है कि "जाने बिन नही होए प्रतीति(आस्था), बिनु प्रतीति(आस्था) हो नही प्रीति" । 
मित्रो हमारे आसपास समाज में बहुत से उपाय, विधियां, तंत्र, मन्त्र, जप, इत्यादि अनेकों यंत्र उपलब्ध है। यह सब व्यर्थ नही है लेकिन इनका सही समय और सही ढंग से इस्तेमाल न होना कई बार हानिकारक हो जाता है। 
मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
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Thursday, 26 March 2015

मोजरेला चीज़ शाकाहारी नहीं है ...........


मोजरेला चीज़ शाकाहारी नहीं है
. चीज़ Mozzarella व अन्य प्रकार के पनीर जिनसे पिज़्ज़ा या पीज़ा या अन्य विदेशी व्यंजन बनते हैं, शाकाहारी नहीं हैं।
. पश्चिमी फैशन के मारे हुए हमारे भारतीय भाई बड़े शौक से पीज़ा खाते हैं क्योंकि पीज़ा पर शाकाहार की हरी मुहर लगी होती है।लेकिन बेचारे नादान यह नहीं जानते कि ‘वेज़ पीज़ा’ नाम की कोई वस्तु इस संसार में है ही नहीं क्योंकि पीजा के ऊपर चिपचिपाहट के लिए जो पनीर (चीज़) बिछाई जाती है, उस पनीर (चीज़) में गाय के नवजात बछड़े के पेट का रस (रेनेट Rennet) मिला हुआ होता है।
. Mozzarella di bufala is traditionally produced solely from the milk of the domestic Buffalo.A whey starter is added from the previous batch that contains thermophilic bacteria, and the milk is left to ripen so the bacteria can multiply. Then rennet is added to coagulate the milk.
After coagulation, the curd is cut into large, 1″–2″ pieces, and left to sit so the curds firm up in a process known as healing.
. रेनेट Rennet डाले बिना पिजा-चीज़ चिपचिपी नहीं बन सकती अर्थात् सभी पीज़ा मांसाहारी नॉन-वेज़ (गाय के मांस के रस से युक्त) होते हैं।
यदि पीजा घर में बनाया जाए तो शाकाहारी भी हो सकता है क्योंकि हम उस मांसाहारी पनीर (चीज़) की जगह पर घरेलू पनीर का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन शायद उसमें वो बात ना बने !
. Rennet is a complex of enzymes produced in any mammalian stomach, and is often used in the production of cheese. Rennet contains many enzymes, including a proteolytic enzyme (protease) that coagulates the milk, causing it to separate into solids (curds) and liquid (whey).
They are also very important in the stomach of young mammals as they digest their mothers’ milk.
The active enzyme in rennet is called chymosin or rennin (EC 3.4.23.4) but there are also other important enzymes in it, e.g., pepsin and lipase.
हार्ड-चीज़ के अलावा अन्य पनीर (चीज़) भी ज्यादातर गौमांस युक्त है।
. भारत में शायद अभी संभव नहीं है लेकिन विदेशी बाज़ार में इटली की ‘मासकरपोने क्रीम-चीज़’ मिल जाती है जो केवल दुग्ध उत्पाद से बनी है पर यह मासकरपोने आम पनीर (चीज़) से 4-5 गुना मंहगी होती है।कई सालों से ऐसी पनीर (चीज़) की तलाश की गई पर इसके अलावा दूसरी कोई पनीर (चीज़) नहीं मिली।
. हर पनीर (चीज़) में जाने-अंजाने या वज़ह-बेवज़ह गौमांस है।
कुछ ऐसी पनीर (चीज़) कंपनी भी हैं जो गाय की आँतो के साथ-साथ गाय की हड्डी भी पनीर (चीज़) में डालती हैं।
. गाय की हड्डी डालने से पनीर (चीज़) देखने में इकसार लगती है (पीज़े में डलने से पहले)।
उपभक्ता को मूर्ख बनाने के लिये पैकिंग के ऊपर गाय की हड्डी को लिखा जाता है।
. वैसे यह रसायन ‘कैलसियम क्लोराईड’ या ‘E509′ प्राकृतिक रूप से भी प्राप्त किया जा सकता है या कारखाने में बनाया जा सकता है.
. हार्ड-पनीर (चीज़) जैसी ही एक पनीर (चीज़) होती जिसे परमिजान कहते हैं, कुछ लोगों को भ्रम है कि परमिजान शाकाहारी है, लेकिन ऐसा नहीं है। हाँ शायद एक-आध कंपनी हैं जो कि गाय की आँतों की बजाए बकरे की आँत परमिजान-चीज़ में डालती हैं लेकिन इसके अलावा और क्या-क्या है उस पनीर (चीज़) में, इस बारे में अभी कोई सन्तोषजनक जानकारी नहीं है।
. बी.बी.सी. के रसोई वाली साइट पर परमिज़ान को शाकाहारी भाजन में शामिल किया गया है लेकिन दूसरी जगह उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि परमिजान चीज़ हमेशा शाकाहारी नहीं होता।

. पनीर
. हम जो पनीर बाज़ार से ख़रीद कर खाते हैं वो भी भरोसेमन्द नहीं है। क्योंकि दूध फाड़ कर पनीर बनाने का जो सबसे सफल रसायन है, जिसका इस्तेमाल अधिकांश पेशेवर लोग करते हैं। वो वास्तव में रसायन नहीं बल्कि गाय के नवजात शिशु का पाचन तन्त्र है।
अगर हम पनीर बनाने के लिए दूध में नीम्बू का रस, टाटरी या सिट्रिक एसिड डालते हैं तो दूध इतनी आसानी से नहीं फटता जितना कि उस अंजान रसायन से, फिर घरेलू पनीर में खटास भी होती है, बाज़ार के पनीर की तुलना में जल्दी खट्टा या ख़राब हो जाता है।
इस रसायन की यही पहचान है कि पनीर जल्दी ख़राब या खट्टा नही होता और हमारी सबसे बड़ी यह समस्या यह है कि किसी भी लेबोटरी टेस्ट से यह नहीं जाना जा सकता कि पनीर को बनाने के लिए गाय के शिशु की आँतों का इस्तेमाल किया गया है क्योंकि गाय के शिशु की आँतें दूध के फटने पर पनीर से अलग हो कर पानी में चली जाती हैं।
इसका बहुत कम (नहीं के बराबर) अंश ही पनीर में बचता है। यह पानी जो दूध फटने पर निकलता है इसे विदेशों में मट्ठा या छाज (whey) कह कर बेचते हैं।
. शाकाहारी जन कृपा करके यह विदेशी मट्ठा कभी न ख़रीदें। इसलिए बाज़ारू पनीर (सभी प्रकार के पनीर) से भी सावधान रहें। दूध, क्रीम, मक्खन, दही तथा दही की तरह ही दूध से बने (खट्टे) उत्पादों के अतिरिक्त विदेशों में बिक रहे लगभग सभी अन्य दुग्ध-उत्पाद मांसाहारी हैं। ज्यादातर मरगारीन भी मांसाहारी ही है।

मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
अगर आप गुडगाँव से दूर हैं तब भी आप हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से फ़ोन कॉल के माध्यम से अपनी कुंडली पर फलादेश और उपाय ले सकते हैं। साथ ही हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली से सम्बंधित जानकारी जैसे फलादेश और उपाय कोरियर से आपके घर तक भेज सकतें है। 
जो सज्जनगन अपनी या अपने परिवार की जन्म कुंडली हमारे कार्यालय में ज्योतिषाचार्य को दिखा कर फलादेश के साथ बुरे ग्रहों की जानकारी लेना चाहते हो वह ईमेल द्वारा मात्र 11000.00 रुपया में पी डी ऍफ़ फाइल द्वारा प्राप्त कर सकते है। 
आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
फेस बुक पेज पर आचार्य हेमंत अग्रवाल
ईमेल : pb02a033@gmail.com 
सावधानी: कोई भी उपाय करने से पहले हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें। 

माता रानी सब को खुशीआं दे।

व्यवसय से सम्बंधित जानकारी (भाग 4)

जय माता दी । 
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से,,,,,,,,,,,,,,, 
बुध आकाश, बृहस्पत वायु, सूर्य एवं मंगल अग्नि, चन्द्रमा, जल, तथा शुक्र, पृथ्वी है। यह तत्व तो सदैव समान है। जो धरती में बोये गए बीज को उसके गुण, कर्म, स्वाभाव अनुसार पैदा करते हैं, पालते हैं, यही कारण है कि ग्रह भी कर्मो के अधीन है। आज भी मैं बुध देव का एक और स्वरूप् आपको दिखाना चाहता हूँ। लाल किताब के जानकर ज्योतिषाचार्य बुध से ही सबसे ज्यादा डरते हैं। मित्रो बुध हमारी जिंदगी में सबसे ज्यादा दखल रखता है। चाहे पारिवारिक रूप हो चाहे बौद्धिक रूप हो या शारीरिक रूप हो दिनचर्या, मतलब रोजाना के हालात या कर्ज आदि।
आज मैं बुध के साथ साथ कर्ज चढ़ने के एक और रूप की व्याख्या कर रहा हूँ। 
मित्रो बुध देव ही नव ग्रहों में ऐसे ग्रह हैं जो हमे जुआ, सट्टा, लाटरी, शेयर मार्केट, कमोडिटी मार्किट, डेरीवेटिव ट्रेडिंग की तरफ आकर्षित करते हैं। जिन लोगों की जन्म कुंडली में बुध देव अच्छे हाल उच्च के होकर बैठे हों तो उन लोगों को उपरोक्त कार्यों में लाभ दिलवाते हैं। लेकिन जिन भाइयों की जन्म कुंडली में बुध देव नीच के मन्दे बुरे ग्रहों के साथ या अपने दुश्मन ग्रहों के साथ या उनकी दृष्टी में बैठे हों तो उपरोक्त लिखे बुध देव से सम्बंधित कारक व्यवसाय के द्वारा बर्बाद करते हैं। बुध देव के लिए जन्म कुंडली में घर 3,8,9,12 नीच के होते हैं और घर 5,11 भी बुध के अच्छे फल नही देते। लेकिन जैसा कि मैंने पहले लेखों में लिखा था कि उपरोक्त लिखे घरों में बुध हों या किसी भी तरह उन पर उनके ग्रह दुश्मन केतु और मंगल की द्दष्टि पड़ती हो या बुध देव केतु , मंगल के साथ ही बैठ जायें तब भी बुध देव के बुरे फल ही मिलते हैं।
मित्रो में यहाँ एक बात और नियम स्पष्ट करना चाहता हूँ कि बुध देव का सबसे ज्यादा असर हमारी जिंदगी में 4.25, 8.5, 17, 34, 35 साल की उम्र में दिखाई देने लगता है। जैसे बुध होंगे हमारी जन्म कुंडली में अच्छे या बुरे उनका बैसा ही असर हमारी जिंदगी में होगा। अच्छा हो या बुरा।
मित्रो जब किसी बच्चे की जन्म कुंडली में बुध देव उपरोक्त प्रकार से बुरे होकर बैठे हों, तब बच्चा कम उम्र में, स्कूल समय से ही गन्दी सोहबत में पड़कर जुआ, सट्टा, लाटरी या मैच आदि में पैसा लगाने लगता है और बर्बादी की तरफ बढ़ना शुरू कर देता है। उसके अंदर अपना और अपने परिवार के लिए भला बुरा सोचने की शक्ति नष्ट होने लगती है।
बच्चा मन मर्जी करने लगता है झूट बोलना शुरू कर देता है। घर, परिवार में चोरी करना शुरू कर देता है। उपरोक्त करणों से बच्चे की पढ़ाई लिखाई चौपट होने लगती है और बर्बादी घर के बाहर खड़ी हो जाती है।
बुध खराब बाला जातक अपना काम काज या नौकरी ठीक से कर रहा होता है कि अकस्मात उसके मन में रहीस बनने या मोटा पैसा कमाने के विचार आने शुरू हो जाते है, वो भी बिना मेहनत किये और उसे अपने आस पास के माहौल में ऐसे लोग आसानी से मिल भी जाते हैं जो जातक को गलत ढंग से पैसा कमाने के ढंगबतातें हैं। तो ऐसा जातक उन लोगों के झांसे में आसानी से फंस जाता है और एक बार अच्छे पैसे कमाता भी है लेकिन फिर बाद में ऐसी बर्बादी शुरू होती है की दुबारा उठना मुश्किल हो जाता है।
कर्ज सर पे चढ़ जाता है, रुपया पैसा बर्बाद हो जाता है। प्रॉपर्टी बिकनी शुरू हो जाती है। घर का सोना पहले गिरवीं रख दिया जाता है। बाद में बेचना ही पड़ता है। 
मित्रो उपरोक्त बातों को पड़ने के बाद एक बात पूरी तरह से साफ है की बुध देव बुरे तो जातक की बुद्धि, अपना फायदा ना निकाल कर, बर्बादी की और भेजती है, इसी लिए लाल किताब का कहना है कि बुध बुरे तो सभ कुछ बुरा। जब कभी भी बुध पहले घर में और मंगल बाहरवें घर में हो तो बुध का फल धन और जातक के सुध के लिए अच्छा ही रहता है। बुध के अपने कारोबार या चीजें जैसे हरा रंग, ट्रेडिंग, हकीमी के काम शुभ होंगे यदि बुध पूरी तरह से शुभ हो। 

मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
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आचार्य हेमंत अग्रवाल 
ऍफ़ ऍफ़ 54, व्यापार केंद्र, सी ब्लॉक, सुशांत लोक, गुडगाँव - 122009
फ़ोन : 01242572165, मोबाइल : 8860960309 
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माता रानी सब को खुशीआं दे।

संतान से सम्बन्धित कुछ जानकारी


राधे राधे
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से,,,,,,,,,,,,,,,
मित्रों आज मैं आपको संतान से सम्बन्धित कुछ जानकारी दे रहा हूँ। हमारी जन्म कुंडली में नर संतान का कारक ग्रह केतु और जन्म कुंडली का पांचवां घर होता है।
कन्या संतान का कारक ग्रह बुध होता है। जिस समय जो ग्रह अच्छे हालात में होगा, केतु या बुध, उसी प्रकार से संतान का जन्म होता है। केतु अच्छी हाल में हो कुंडली के घर 9 या 12 में तो पुत्र हो और यदि बुध अच्छी हालात में हो तो कन्या संतान का जन्म होता है।
सन्तान के जन्म के लिए गुरु देव ब्रह्स्पति, शुक्र, चंद्र के साथ साथ मंगल देव की सहायता की भी जरूरत होती है। गुरु, चंद्र, शुक्र, मंगल अच्छी हालत में हों तो ऐसे व्यक्ति के वीर्य में किसी प्रकार की समस्या नहीं होती। चंद्र देव जब शनि देव से से पीड़ित हों, तब वीर्य में पतले पन की परेशानी होती है। वीर्य में स्पर्म की मात्रा कम हो जाती है। जिस कारण गर्भ धारण ना हो पाना या चंद्र देव कुंडली के घर 11 में बैठे हों तो भी केतु । केतु देव कुंडली के घर 8 में मतलब मौत के घर में बैठे हों तब भी सन्तान समस्या रहती है।
राहु कुंडली के घर 5 जो सन्तान से सम्बंधित है में बैठ जाएँ तो पुत्र सन्तान को गर्भ में ही ख़राब करते हैं। राहु घर 5 में अमूमन पहली नर सन्तान को ही गर्भ में नष्ट करते हैं। लेकिन अगर कन्या सन्तान गर्भ में स्थित हो तो राहु देव का बुरा असर नहीं होता।
इसी प्रकार शनि देव को भी घर 5 में बच्चे खाने बाला सांप बोला जाता है।
अगर सन्तान से सम्बंधित उपरोक्त परेशानी हो तो गुरु देव को ठीक करने के लिए साथ ही चंद्र देव को गुरु की सहायता दिलबाने के लिए दूध में केसर मिला के पियें।
सोने की सुई को आग में लाल करके दूध में बुझा कर दूध पियें।
स्वर्ण भस्म का उपयोग करें।
अगर शुक्र देव को राहु ख़राब कर रहा हो तो राहु के उपाय करें और राहु से सम्बंधित सामान जैसे कच्चे कोयले बंद घड़ियां खोटे सिक्के तेजाब आदि सामान घर से निकलें। नीले रंग के कपडे ना पहने।
अगर चंद्र देव शनि से पीड़ित हों तो चंद्र को बल दें शनि देव के सामान जैसे पक्के कोयले लोहे के पुराने सामान आदि घर से दूर करें। शनि के रंग जो की काला है तो काले कपडे ना पहने।
चंद्र को स्थापित करें साथ ही चंद्र को मंगल की सहायता पहुंचाएं।
केतु को ठीक करने के लिए कुत्ता पालें। कुत्ते की सेवा करें। केतु को गुरु की सहायता पहुंचाएं मतलब कानो में ठोस सोना डालें। मंगल बद हो तो मंगल बद के उपाय करें।

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Wednesday, 25 March 2015

Red Book of Astrology Complies by the Principles of Science .........


I am pleased to tell you that the red book of astrology complies by the principles of science in all senses. I would like to give some examples to yourself .

Example No. 1: -


According to mythological tales Jupiter is the guru of all Gods, the planet of high values, prosperity, peace, Jupiter, if it comes to the third house of the horoscope then the person should worship mercury because Jupiter has an important relationship with the third house. Third house is the Zodiac Sign of Gemini and Mercury is the God of Gemini Zodiac Sign. Jupiter and Mercury are enemies, but when Jupiter comes in the third house of Horoscope, relationships start to spoil with Aunt(Father's Sister), Sister, Daughter or they suffer from either socially or physically or financially, such people should worship mercury necessarily.  Their sister, daughter and aunt should be given lots of gifts, respects and love, when they come to home. Such people should also worship little girls especially below the age of 13 yrs.

Example No. 2: -


Similarly, when Jupiter is in the eighth house then it is in the house of death which means that the effect is very confusing. The only advantage of this is that during any problem their will be Godly help possible and the person of such a combinations of Planets in the Horoscope lives long life. Apart from that their is no special advantage. For this reason give good effect to Jupiter by doing the remedies of the houses/planets where Jupiter is the ruler of  houses, secondly things like, Turmeric, Saffron and GOLD also be donated to the temple. Because the second house is Jupiter own house. And this house is also called as the place of temple. And Jupiter when placed in its own house gives good results.

Example No. 3: -

If Jupiter rules the second house then their is a principle in the red book, not to  trade or do business with his/her own investments/capital, things of Jupiter like, gold, turmeric, saffron, etc. Such people should do business of garments, farming and beauty products, to have more profits with less efforts. Because the second house is of Taurus zodiac sign and Venus is lord of this house of horoscope,  and since Venus is the lord of second house, it don't let business or services related to Jupiter have profit. But if such people do work of Venus then Venus blesses then with happiness.


मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
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Tuesday, 24 March 2015

बालकों की स्वाभाविक रूचि एवं योग्यता ...........

जय माता दी ।
गुरुदेव जी ० डी ० वशिष्ट के आशीर्वाद से,,,,,,,,,,,,,,,
मित्रो आज मैं एक ऐसे विषय पर चर्चा करने जा रहा हूँ जो अक्सर माता पिता अपने बालकों की स्वाभाविक रूचि एवं योग्यता को 'बेसिक' व 'नेचुरल स्पार्क' को, तथा ज्योतिषीय आधार पर किसी विषय को समझने की उनकी स्वाभाविक संभावनाओं को या तो किसी विचार में लाते ही नही या नजरअंदाज कर देते है। अपना नजरिया और अपनी अतृप्त इच्छाएं वे बालकों पर थोप देते है तथा महत्वाकांक्षा एवं प्रतिस्पर्धा के चलते वे बालकों से उनकी योग्यताएं, सामर्थ्य सीमाओं से भी अधिक प्रगति करने की अपेक्षा रखने लगते है-परिणामतः बालको का बचपन तो बर्बाद हो ही जाता है। वो मानसिक और मनोवैज्ञानिक दबाब में आकर बहुत से रोग विकारों से ग्रस्त हो जाता है। उसकी प्रतिभा कुचली जाती है वह अपने पसंदीदा विषय का महारथी बनने की वजाए नापसंद और बलात थोप दिए गए विषय में 'कामचलाऊ' स्तर प्राप्त करके रह जाता है ।बाद में भी सारा जीवन वह कर्तव्यों/ड्यूटीस को उदरपालन की मज़बूरी की भांति बस ढोता है। मन से, जोश व उत्साह से ,पूरी निष्ठा व मनोयोग से सारी की सारी योग्यता का प्रदर्शन करते हुए कुछ भी 'बेहतर या बेहतरीन ' नही कर पता। दसवीं कक्षा के बाद विशेष रूप से विषय चुनने की आवश्यकता रहती है। आम धारणा है कि अव्वल रहने वाले छात्र साइंस साइड में जाते है, और तीसरे दर्जे वाले आर्ट्स साइड में जाते है। अक्सर माता पिता बालकों को साइंस लेने को उकसाते है। रह गए तो कॉमर्स ही ले लो। मगर आर्ट्स साइड तो मज़बूरी में ही चुनी जाती है ।
यह बालकों तथा उनके माता - पिता के लाभार्थ-साइंस/कॉमर्स/आर्ट्स साइड के चुनाव के उपयोगी, प्रमुख ज्योतिषीय सूत्र तथा आधार संक्षेप में दे रहा हूँ-क्यूंकि आजीविका या रोजगार की नींव यहीं से पड़नी शुरू होती है।
जैसे की मैंने अपने पहले लेखों में लिखा था की अगर शनि नीच हो तो तकनीकी विषयों को समझने की छमता कम होती है । जातक ऐसे विषय पढ़ भी ले तो आगे उस दिशा में सफलता प्राप्त कर ही नही सकता। इसी प्रकार राहुयदि निर्बल हो तो इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आदि में जातक सफल नही हो पाता।
राहु-शनि उच्च के हो तो राजनीति में भी सफलता नही मिलती।
बुध अगर बहुत अधिक अशुभ स्थिति में तो, गणित, सांख्यिकी, एकाउंट्स, इकोनॉमिक्स आदि में जातक सफल नही हो पाता ।
सूर्य अगर उच्च हो तो नागरिक शास्त्र, सामाजिक ज्ञान, हुमेनिटिस, आर्ट्स, पुब्लिक रिलेशन आदि से जुड़े विषयो में सफलता होती है।
चन्द्र बलवान हो तो सयकोलॉजी, कृषि, टूरिज़्म, शिपिंग हाइड्रोलिक्स, कैश आदि से जुड़े हुए विषय पड़ने चाहिए।
मंगल अगर उच्च हो तो सर्जरी, मेडिकल, आर्मी /पुलिस, आर्डिनेंस, केमिकल्स तथा फायरवर्क्स से जुड़े विषयो में सफलता मिलती है। इसी प्रकार ग्रहों के मुश्तरका कुंडली के एक घर में होने से, द्रिष्टि या युक्ती के प्रभाव से, दो या दो से अधिक ग्रहो के मिलने से या ग्रहो की कुंडली में घरों पर दृष्टीयों से भी कई प्रकार के विषय और व्यवसाय देखे जाते है।
कुंडली में जितने अधिक से अधिक घर या ग्रह शुभ, अच्छी, बलि, उच्च स्थिति में होंगे जातक उतना अधिक से अधिक जीवन में ऊँची से ऊँची कामयाबियों को प्राप्त करता है और एक सफल जीवन व्यतीत करता है चाहे जीवन का कोई भी क्षेत्र हो। हमारे आसपास समाज में जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं, उनमें से उनकी कुछ कुंडलियों के अध्ययन से यह देखने में आया है की उनकी कुंडलियों में एक से अधिक ग्रह उच्च स्थिति में थे। यहाँ तक की यह भी पाया गया है की अगर कुंडली में कोई दो या दो से अधिक शत्रु ग्रह आपस में शत्रुता से जातक की कुंडली में बैठे हों, और जीवन को असफल बनाते हों और किसी भी वजह से जाने या अनजाने, उपायों द्वारा उन ग्रहो की शत्रुता या नीचता को कम या खत्म कर दिया जाये तो जातक एक कामयाभ जिंदगी जीता है।ऐसा ही एक उदाहण यहाँ पर बताना चाहता हूँ । आम तौरपर, ज्यादातर, अगर कुंडली में मंगल दसवें भाव में शुभ और चन्द्र दूसरे भाव में शुभ और उच्च स्थति में बैठा हो तो दसवें भाव के मंगल के लिए कहा जाता है की विष्णु जी स्वयं घर पधारे। लेकिन देखने आता है की विष्णु जी को छोड़ो उनका दूत भी नही आता और जातक को खाने के लिए भी मोहताज होना पड़ता है। इसका कारण है कि जबतक मंगल का समय रहता है तब तक तो जातक को सब कुछ मिलता है लेकिन जैसे ही चन्द्र का समय आता है, वो सब कुछ जो जातक को मंगल के समय में मिला होता है वह भाप हो जाता है और जातक सोचता ही रह जाता है कि उसके साथ ऐसा क्या हो गया है। ऐसी बहुत सारी अनगिनत उदाहरण है जिनका यहाँ वर्णन कर पाना संभव नही है। बहुत सी कुंडलियों में यह भी देखने में आता है यदि कोई ग्रह शुभ या उच्च स्थिति में होता है लेकिन जातक उन ग्रहो के कारक विषयों और व्यवसायों में सफल नही हो पाता है। इसका मुख्य कारण कुंडली का सही और गहनता से विश्लेषण न करना होता है।
कुंडली में ग्रहो एवं योगों की अशुभता एवं निर्बलता को अथवा ग्रहो की दशा और समय इत्यादि की प्रतिकूलता हो या अन्य कारणों से व्यवसाय/लाभ/आजीविका बाधित या दुष्प्रभावित हो रही हों, सामर्थ्य एवं योग्यता के अनुसार प्राप्ति ना हो रही हो अथवा प्रतिकूल एवं अशुभ प्रभाव जीवन में महसूस किये जा रहे हो तो ऐसी स्थितियों में उपाय प्रभावशाली और लाभकारी सिद्ध होते है। क्योंकि की बिना कारण के कार्य नही होता है और बिना कर्म के फल नही होता तथा कोई भी कर्म निष्फल भी नहीं होता। अतः किसी भी कार्य के लिए पहले उसका कारण बनाना पड़ता है। भाग्य प्रबल हो तो परिस्थितयां स्वय कारण बना देती है। किंतु भाग्य की निर्बलता या प्रतिकूलता हो तो 'कारण ' स्वय बनाना पड़ता है। इसे ही उपाय कहा जाता है। कोई फल बिना कर्म के प्राप्त नही होता-अतः उपाय को विधिवत एवं कुशलतापूर्वक किया जाये तो अवश्य ही सुपरिणाम प्राप्त होते है, क्योंकि उपाय स्वयं में कर्म होते है, और कर्म कभी निष्फल नही होता। यही उपाय का मह्त्व/सार्थकता/उपयोगिता व् औचित्य है।
भाग्य कर्म के अधीन है। बुद्धिपूर्वक किये जाने वाले विशिष्ट कर्म अंततः भाग्य को बदल देते है। ऐसे ही कर्म तप कहे जाते है। जैसा की रामायण में कहा गया है 'सुत तप से दुर्लभ कछु नाही',
जो ग्रह हमें लाभप्रद है किन्तु निर्बल है, उपाय द्वारा उसका बल बढ़ाकर हम अपना लाभ बड़ाते है। जो ग्रह हानिप्रद स्थिति में है किन्तु बलवान है, उपाय द्वारा उसका बल घटाकर हम अपनी हानि को कम कर लेते है। इसी प्रकार जो समय या परिस्थिति हमारे प्रतिकूल है -उसमें हम अपने लक्ष्य के लिए संघर्ष न कर 'धैर्यपूर्वक' अपनी योग्यता को बढ़ाते है और अनुकूल समय/परिस्थतियों में लक्ष्य प्राप्ति के प्रयासों को क्रियान्वित करते है तो हम कम परिश्र्म से अधिक की प्राप्ति करते हैं और हम असफल हतोत्साहित होने से बच जाते है।
जातक विश्वास एवं अस्थापूर्वक उपाय कर सकें, इसके लिए आवश्यक है की जातक उपायों को प्रयोग में लाने से पूर्व उनका औचित्य, प्रणाली, विज्ञानं, शक्ति और सीमाओं के विषय में जानें। जानने से ही यकीन होता है और यकीन से ही आस्था व् सफलता होती है। जैसा की तुलसीदास जी ने कहा है कि "जाने बिन नही होए प्रतीति(आस्था), बिनु प्रतीति(आस्था) हो नही प्रीति" ।
मित्रो हमारे आसपास समाज में बहुत से उपाय, विधियां, तंत्र, मन्त्र, जप, इत्यादि अनेकों यंत्र उपलब्ध है। यह सब व्यर्थ नही है लेकिन इनका सही समय और सही ढंग से इस्तेमाल न होना कई बार हानिकारक हो जाता है।

मित्रो जल्द से जल्द अपनी कुंडली निकालें और देखें अगर आप की कुंडली में ऐसे योग हों तो हमारे गुडगाँव कार्यालय में ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें और उपायों द्वारा बुरे योगों के दुशप्रभाव को कम करने का प्रयास करें और अपने जीवन को अधिक से अधिक खुशहाल बनायें। 
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